
डूब क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट में बढ़ती अवैध गतिविधियों से ग्रेटर नोएडा में गहराता पर्यावरण संकट
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में डूब क्षेत्रों (Flood Zones) और ग्रीन बेल्ट में निरंतर बढ़ रही अवैध गतिविधियों ने पूरे क्षेत्र को एक गंभीर पर्यावरणीय संकट की ओर धकेल दिया है। जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी Flood Plain Zoning Guidelines में स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी डूब क्षेत्र में स्थायी अथवा अस्थायी निर्माण, व्यावसायिक गतिविधि या भीड़भाड़ वाले आयोजन पूर्णतः प्रतिबंधित हैं। इसके बावजूद गौतम बुद्ध नगर में ऐसी गतिविधियाँ खुलेआम हो रही हैं — जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नागरिकों के जीवन और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा बन चुकी हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अपने कई निर्णयों में, विशेषकर Manoj Mishra बनाम भारत संघ (OA No. 65/2016) में यह स्पष्ट कहा है कि डूब क्षेत्र या ग्रीन बेल्ट में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक या अस्थायी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर क्रिकेट ग्राउंड, महा मेले, फूड स्टॉल, झुके और अन्य वाणिज्यिक आयोजन, दुकान ,होटल निरंतर जारी हैं।
इन गतिविधियों ने प्राकृतिक पारिस्थितिकी को बुरी तरह प्रभावित किया है — वृक्षों की कटाई, ध्वनि एवं वायु प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि, और मोरों व अन्य पक्षियों की प्रजातियों का लगभग लुप्त हो जाना इसका प्रमाण हैं। जहाँ 2018-19 तक क्षेत्र में प्राकृतिक जीवन की चहचहाहट सामान्य थी, वहीं आज वहाँ शोर और धुएँ ने निवास असहनीय बना दिया है।
नगर मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पत्र संख्या 68/एम0सी0टी0-गौ0/2025 दिनांक 06.10.2025 के माध्यम से ग्राम दीपक यादव, दिल्ली रोड, सहसपुरा को हस्तशिल्प वस्तुओं की प्रदर्शनी, झूले, खान-पान स्टॉल और मनोरंजन मेले की अनुमति प्रदान की गई है। यह आयोजन स्थल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्वामित्व भूमि (खसरा संख्या अंतर्गत क्षेत्र – नीयर चार मूर्ति चौक, सेक्टर-टेक ज़ोन 4, ग्रेटर नोएडा वेस्ट) में आता है, जो कि डूब क्षेत्र के रूप में चिन्हित है।
जबकि जल शक्ति मंत्रालय की गाइडलाइन और NGT के आदेश स्पष्ट रूप से इस प्रकार की किसी भी गतिविधि को प्रतिबंधित करते हैं। इन आदेशों के अनुसार डूब क्षेत्र में बिना अनुमति किए गए कार्यक्रम या निर्माण पर एक वर्ष तक का कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इसी बीच सनातन न्यास ट्रस्ट ने इस आदेश को चुनौती देते हुए नगर मजिस्ट्रेट को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि संबंधित भूखंड का मामला पहले से ही NGT में विचाराधीन है, और एसडीएम द्वारा धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा से विकास कार्य ठप हो गए हैं। ट्रस्ट ने इस आदेश को अवैध बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है।
यह पूरा प्रकरण अब प्रशासनिक सख्ती और निजी हितों के बीच टकराव का रूप ले चुका है। परिणामस्वरूप, सबसे बड़ा नुकसान जनता और पर्यावरण दोनों को उठाना पड़ रहा है।
मैंने 2019 से बार-बार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ, एसीओ और ओएसडी को इस विषय में लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराया है कि डूब क्षेत्रों और ग्रीन बेल्ट पर लगातार अवैध व्यावसायिक प्रयोग जारी हैं। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
अब आवश्यक है कि प्राधिकरण तत्काल—
- सभी डूब क्षेत्रों का सीमांकन (demarcation) कराए,
- अवैध गतिविधियों को तत्काल रोके,
- और पर्यावरणीय ऑडिट कराकर दोषी अधिकारियों एवं संस्थाओं के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे।
यह केवल पर्यावरण की रक्षा का प्रश्न नहीं है, बल्कि जनजीवन और भविष्य की सुरक्षा का विषय है। जब तक डूब क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक प्रदूषण और आपदा से राहत की कोई संभावना नहीं है।
सरकार और प्रशासन को अब औपचारिक नोटिसों से आगे बढ़कर ज़मीनी कार्रवाई करनी होगी, ताकि ग्रेटर नोएडा को पुनः हरित, स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सके।
नरेश नौटियाल
(सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व सांसद प्रत्याशी)
A-7/14, हिमालय प्राइड, टेक ज़ोन-4,
ग्रेटर नोएडा वेस्ट, उत्तर प्रदेश – 201306
गौतम बुद्ध नगर में डीएम-एसडीएम के पास अधिकार होते हुए भी बिल्डर पर FIR नहीं, जबकि मुख्यमंत्री के आदेश लागू हैं।
दूसरी ओर, कोर्ट के आदेश के बावजूद डूब क्षेत्र में महा मेले की अनुमति देना प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है।
देश में भ्रष्टाचार चरम पर, गौतम बुद्ध नगर उसका जीवंत उदाहरण।



