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अवैध निर्माण करने वाला ही नहीं इंजीनियर और अफसर भी जिम्मेदार! फैसला सुप्रीम कोर्ट का

अवैध निर्माण करने वाला ही नहीं इंजीनियर और अफसर भी जिम्मेदार! सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नोएडा में अवैध निर्माण की भरमार है खासतौर से प्राधिकरण की अधिग्रहण और अधिसूचित जमीन पर भू माफियाओं ने कब्जा करके आलीशान शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और फ्लैट बना दिए हैं पिछले पाँच छे सालों में मानों की भू माफियाओं के मंच से प्राधिकरण का डर पूरी तरह से निकल गया हो सलारपुर हाजीपुर सुलतानपुर भंगेल, बरोला, सोरखा, गढीचैखडी, बसई आदि में अवैध निर्माण की भरमार है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अवैध निर्माण करने वाले ही पूरी तरह दोषी है? जवाब देखे तो नही। क्योकि जिस वक्त अवैध निर्माण होता है उस वक्त जो भी जिम्मेदार अफसर होते है वो उसे राकते नही बल्कि अपने निजी हितों को साधने के लिए बढावा देते है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में ऐतिहासिक फैसला दिया था। अदालत ने साफ कहा कृ अवैध निर्माण, अवैध ही रहेगा। चाहे कितना भी पुराना हो, या उस पर कितना भी पैसा लगा हो। किसी भी सरकार या अथॉरिटी को श्मानवीय आधारश् पर ऐसे निर्माण को वैध करने की अनुमति नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यही कि जिम्मेदारी किस किस की है। जिम्मेदारी अब सिर्फ बिल्डर या मालिक पर नहीं रहेगी। इंजीनियर, प्लानिंग स्टाफ और अफसर जो अवैध निर्माण को अनुमति देते हैं या अनदेखा करते हैं। उन पर भी सीधी कार्रवाई होगी।

  • विभागीय कार्यवाही
  • आपराधिक केस
  • और यहां तक कि व्यक्तिगत रूप से हर्जाना और नुकसान की भरपाई उनसे वसूली जा सकती है।

केस जिनमें ऐसे मामलों पर हुई सुनवाई

राजेन्द्र कुमार बरजट्या बनाम उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, सिविल अपील संख्या 14604–14605/2024, दिनांक 17.12.2024

  • “अवैध निर्माण को वैध नहीं किया जा सकता, चाहे वह कितने भी वर्षों से खड़ा हो।”
  • “प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही से ही ऐसे निर्माण संभव होते हैं। ऐसे मामलों में अधिकारियों पर विभागीय और आपराधिक कार्यवाही की जा सकती है।”
  • “यदि न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन होता है, तो जिम्मेदार अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से restitution (भरपाई) करनी होगी और हर्जाना भी देना होगा।”
  • अदालत ने यह भी कहा कि नगर निकाय और विकास प्राधिकरणों को नियमित निरीक्षण और अनिवार्य प्रमाणपत्र व्यवस्था लागू करनी होगी।

ये होगा कानूनी प्रभाव

  • सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पूरे भारत पर लागू है।
  • राज्य सरकारें और नगर निकाय इसे अनदेखा नहीं कर सकते।
  • भविष्य में यदि कोई अधिकारी अवैध निर्माण को नजरअंदाज करता है, तो उस पर सीधी जवाबदेही बनेगी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

  • हर साइट पर मंजूर प्लान सार्वजनिक रूप से लगाया जाए।
  • नियमित निरीक्षण हों।
  • Completion Certificate और Occupation Certificate के बिना बिल्डिंग इस्तेमाल न हो।

यह फैसला यूपी के साथ साथ पूरे देश में लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश में ।तजपबसम 141 के तहत बाध्यकारी है।
इसका मतलब कृ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद हर जगह अब अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी।
ऽ जनता को पता होना चाहिए कि अगर कहीं अवैध निर्माण हो रहा है, तो अब सिर्फ बिल्डर नहीं बल्कि संबंधित इंजीनियर और अफसर भी कटघरे में खड़े होंगे।

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