सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू)
दिल्ली राज्य कमेटी
गृह मंत्री अमित शाह को जवाब देना होगा!
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस ने आज सिविक सेंटर के सामने धरना स्थल से एमटीएस (पीएच), डीबीसी, सीएफडब्ल्यू कर्मचारियों को जबरन हटा दिया। 2000 से ज़्यादा गिरफ़्तार कर्मचारियों को पटेल नगर, आनंद पर्वत, आज़ादपुर, बवाना, रणजीत नगर, नरेला, आईटीओ और कमला नगर समेत दिल्ली के अलग-अलग पुलिस थानों में ले जाया गया।
सिविक सेंटर के सामने कर्मचारियों के पिछले एक महीने से लगातार चल रहे धरने से न तो ट्रैफिक पर कोई असर पड़ा था और न ही कोई सार्वजनिक व्यवधान पैदा हुआ था – क़ानून-व्यवस्था की तो बात ही छोड़ दें, जिससे दिल्ली पुलिस के इस तरह के हस्तक्षेप को उचित ठहराया जा सके।
सीटू राज्य कमेटी दिल्ली पुलिस के इस तानाशाही रवैये की कड़ी निंदा करती है। अमित शाह, जिन्होंने एमसीडी के अपने मंत्रालय के अधीन होने के बावजूद इन कर्मचारियों की जायज़ मांगों को हल करने के लिए किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है, अब दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल उन पर दबिश करने के लिए कर रहे हैं। आज की तारीख में दिल्ली की जनता को इन सवालों का जवाब देना ही होगा :
1) आपके मंत्रालय के अधीन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) इन 5000 कर्मचारियों को जून 2024 में एमटीएस (जन स्वास्थ्य) के रूप में नामित करने के बाद भी आज तक उनका ग्रेड पे तय क्यों नहीं कर पाई है?
2) ऐसा क्यों है कि एमसीडी, जिसमें दिल्ली सरकार के साथ आपकी संयुक्त हिस्सेदारी है, इस मामले पर 2019 के हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने में विफल रही? वास्तव में, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले के खिलाफ एमसीडी की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के 2019 के आदेश का निष्पक्ष कार्यान्वयन यह सुनिश्चित करता है कि डीबीसी कर्मियों को खाद्य स्वच्छता बेलदारों के समान मासिक वेतन मिले (जो उस तारीख से प्रभावी होगा जब से वे बिना किसी ब्रेक के नियमित रूप से काम कर रहे हैं)।
3) अंत में, ट्रिपल इंजन सरकार का नेतृत्व करने वाले अमित शाह को दिल्ली की जनता को जवाब देना चाहिए कि जब दिल्ली डेंगू और मलेरिया की चपेट में है, तब एमसीडी प्रशासन ने डीबीसी कर्मचारियों को हड़ताल पर क्यों धकेला? हड़ताल से पहले जहाँ हर हफ्ते 9.5 लाख घरों का निरीक्षण किया जाता था, वहीं आज यह संख्या घटकर लगभग 75,000 रह गई है। राजधानी में डेंगू के मामलों के दैनिक आंकड़ों को गलत बताने और उसे छिपाने से हमें इस स्वास्थ्य संकट का मुक़ाबला करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
इस गतिरोध का कारण दिल्ली में ट्रिपल इंजन वाली भाजपा सरकारों द्वारा कर्मचारियों की मांगों को कानूनी और राजनीतिक रूप से हल करने में की गई आपराधिक लापरवाही है। इसके चलते कर्मचारियों के बार-बार प्रयासों और श्रम आयुक्त के माध्यम से त्रिपक्षीय पहल के बावजूद गतिरोध दूर नहीं हो सका है। एमसीडी प्रशासन को जल्द-से-जल्द मज़दूरों के साथ बातचीत शुरू करनी होगी।




