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माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बदले अपने आदेश — आदेश पर आदेश, अमल नहीं… क्या यही न्याय है? क्या संभव है सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से आवारा जानवरों को हटाना?


दिनांक:07 नवंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद – क्या सच में संभव है सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से आवारा जानवरों को हटाना?

समाजसेवी नरेश नौटियाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज देशभर में सार्वजनिक स्थानों — जैसे स्कूल, अस्पताल, बस अड्डे और रेलवे स्टेशन — से आवारा कुत्तों को हटाने तथा राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों से मवेशियों को हटाने का आदेश दिया गया है। यह कदम जनसुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम को ध्यान में रखकर उठाया गया है, परंतु इसकी व्यवहारिकता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

श्री नौटियाल ने कहा कि यह आदेश जनहित में तो है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि न तो हमारे पास इतने शेल्टर होम हैं और न ही पर्याप्त व्यवस्था। देश में पहले से ही लाखों आवारा कुत्ते और मवेशी हैं, जबकि पशु कल्याण बोर्ड के अनुसार वर्तमान आश्रय गृह पहले ही क्षमता से अधिक भरे हुए हैं। ऐसे में यह समझना कठिन है कि इतने जानवरों को आखिर रखा कहाँ जाएगा।

उन्होंने कहा कि आज गांवों में भी लोग मवेशी अपने घर में नहीं रख पा रहे हैं, क्योंकि चारों ओर शहरीकरण बढ़ रहा है, जंगल कट रहे हैं और हरियाली समाप्त होती जा रही है। इन जानवरों के पास न चरागाह बचे हैं और न पानी के स्रोत। सवाल यह है कि इंसान आखिर चाहता क्या है — सिर्फ खुद जीना? जबकि सच्चाई यह है कि इंसान स्वयं भी प्रदूषण और भ्रष्टाचार के जाल में फँस चुका है।

आज हालत यह है कि गांवों में भी लोग मवेशी अपने घर में नहीं रख पा रहे हैं, क्योंकि हर तरफ शहरीकरण बढ़ रहा है, जंगल कट रहे हैं, और हरियाली घट रही है। इन जानवरों के लिए न तो चरागाह बचा है, न पानी के स्रोत।

सवाल यह है कि इंसान आखिर चाहता क्या है — सिर्फ खुद जीना? जबकि सच्चाई यह है कि इंसान खुद भी नहीं जी पा रहा है, प्रदूषण और भ्रष्टाचार के जाल में फँस चुका है।

नरेश नौटियाल ने कहा कि सरकार और प्रशासन उन मूल कारणों पर ध्यान नहीं दे रहे, जिनसे यह स्थिति पैदा हुई — अतिक्रमण, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार। अगर इन समस्याओं पर पहले ध्यान दिया जाता, तो आज आधे से अधिक समस्याएँ स्वतः समाप्त हो सकती थीं।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश तभी सार्थक और मानवीय दृष्टि से सफल होगा जब पर्याप्त शेल्टर होम बनाए जाएँ, स्थानीय निकाय सक्रिय हों, और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी जानवर के साथ क्रूरता न हो। न्यायालय और सरकार दोनों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, वरना यह आदेश केवल कागज़ों तक सीमित रह जाएगा।

अंत में उन्होंने कहा कि इंसान और प्रकृति दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। यदि हम हरियाली, पानी और जानवरों की रक्षा नहीं करेंगे, तो इंसान भी सुरक्षित नहीं रह पाएगा। हमारा उद्देश्य विरोध नहीं, बल्कि संतुलित और संवेदनशील समाधान की माँग करना है।

नरेश नौटियाल
(सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व सांसद प्रत्याशी)

सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2025 को देशभर में सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों तथा राष्ट्रीय राजमार्गों से मवेशियों को हटाने का आदेश पारित किया है। परंतु प्रश्न यह उठता है कि — क्या मनुष्य स्वयं को भगवान समझने लगा है? पहले उसने पेड़ ,पहाड़ काट जंगल मिटाए , फिर नदियों-नालों का अस्तित्व मिटाया, और अब इंसानियत को ही निगलने पर आमादा है। आखिर हम जा कहाँ रहे हैं — विकास की ओर या विनाश की दिशा में?

राम_राज्य 🪔 #आपकानरेश

https://x.com/NareshNautiyall/status/1986765868253290658?t=XPEHOnoJj0u40KzUhgL6fg&s=08

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