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मेट्रो का सपना या राजनीतिक जुमला? ग्रेटर नोएडा वेस्ट की जनता का धैर्य जवाब दे रहा

मेट्रो का वादा—जुमला दर जुमला… ग्रेटर नोएडा वेस्ट कब मिलेगा हक?

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाली करीब 6 लाख की आबादी पिछले 15 साल से मेट्रो का इंतजार कर रही है, लेकिन आज तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यहां मेट्रो चलेगी या नमो भारत रैपिड रेल। हर चुनाव से पहले मेट्रो को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, नई घोषणाएँ होती हैं और मीडिया भी इसी के इर्द-गिर्द खबरें चलाती रहती है। कभी खबर आती है कि मेट्रो शुरू होने वाली है, कभी बताया जाता है कि सांसद जी ने अपने अस्पताल के लिए मेट्रो का रूट मोड़ दिया, तो कभी कोई नई कहानी सामने आ जाती है। अब यह पूरा मुद्दा पिछले 12 वर्षों से जनता को सिर्फ एक “जुमला” जैसा लगने लगा है।

साल 2024 में सामाजिक कार्यकर्ता श्री नरेश नौटियाल ने इस पूरे मामले को गंभीरता से उठाया और केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर मुलाक़ात का समय मांगा। पत्र पर अनुस्मारक भी भेजे गए, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। जवाब न मिलने पर जानकारी के अधिकार के तहत RTI दायर की गई, उस पर भी कोई उत्तर नहीं दिया गया। इसके बाद प्रथम अपील की गई, वहां से भी कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। अब दूसरी अपील जून 2025 से आज तक लंबित है। मंत्रालय, RTI विभाग, स्थानीय विधायक और सांसद—किसी की ओर से भी जनता को स्पष्ट और ईमानदार जवाब नहीं दिया जा रहा है।

सच यह है कि न RTI में सच्चाई सामने आ रही है,जबकि संसद में यह बताया जाता है कि फाइल 8 साल से चल रही है। ऐसे में जनता के सामने सच्चाई क्या है—यह किसी को पता नहीं। न संसद में कोई स्पष्ट स्थिति बताई जा रही है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि वास्तविक जानकारी दे रहे हैं। चुनाव आते ही मेट्रो की फाइल “बहुत जल्द” खुलने का दावा किया जाता है और चुनाव निकलते ही यह मुद्दा फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है। ऐसा लगता है जैसे ग्रेटर नोएडा वेस्ट की मेट्रो का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक घोषणाओं और चुनावी माहौल को गर्म रखने के लिए किया जा रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता श्री नरेश नौटियाल का कहना है कि यह क्षेत्र रोज़ाना भारी ट्रैफिक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी झेल रहा है। लोग ई-रिक्शा और थ्री-व्हीलर पर निर्भर हैं, जबकि यहां मेट्रो का वादा डेवलपमेंट के शुरुआती दिनों से किया गया था। अब समय आ गया है कि सरकार और प्राधिकरण चुनावी बयानों की जगह इस पूरे मुद्दे पर पारदर्शी और अंतिम निर्णय घोषित करें। जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि 15 साल से लंबित यह प्रोजेक्ट वास्तव में कहां अटका हुआ है और कब तक इसे शुरू किया जाएगा।

पूर्व सांसद प्रत्याशी होने के नाते
जिन्होंने मुझे वोट दिया—उनके लिए मैं आज भी उनका सांसद हूं,और जनमानस की आवाज़ उठाना मेरा अटूट संकल्प।

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