गौतमबुद्ध नगर में बढ़ता प्रशासनिक भ्रष्टाचार एवं समाजसेवी के उत्पीड़न पर गंभीर प्रश्न?
गौतमबुद्ध नगर जनपद में पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन एवं प्राधिकरणों के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार और अतिक्रमण का नग्न स्वरूप आज जनहित के लिए गहन चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे वातावरण में एक समाजसेवी, जो वर्षों से निःस्वार्थ भाव से जनहित के कार्यों में संलग्न हैं, को बार-बार षड्यंत्रपूर्वक प्रताड़ित किया जा रहा है।
इन निरंतर उत्पीड़नों और मानसिक दबावों के बावजूद उक्त समाजसेवी ने जनहित के संघर्ष को नहीं छोड़ा और अपने कर्तव्यों का निर्वहन धैर्यपूर्वक करते हुए, शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता पर लोकतांत्रिक तरीके से प्रश्न उठाया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से यह प्रश्न किया है कि —
“इतनी असीम शक्ति क्यों प्रदान की गई है उन अधिकारियों और पुलिस तंत्र को, जिनके अत्याचारों के सामने अब रावण और कंस भी क्षीण प्रतीत होने लगे हैं?”
समाजसेवी ने प्रधानमंत्री जी को सन् 2014 के उनके स्वयं के उद्घोष — “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” — की याद दिलाई है। यह प्रश्न भी उठाया गया है कि —
जब बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई सुस्त पड़ी है,
जब अंग्रेज़ी शासनकाल के पुराने, अन्यायपूर्ण कानून अब भी यथावत लागू हैं,
तब सरकार द्वारा बताए जा रहे सुधार वास्तव में जनजीवन में क्यों नहीं उतर पा रहे हैं?
आज आवश्यकता है कि शासन-प्रशासन केवल घोषणाओं तक सीमित न रहे, बल्कि जनहित में निःस्वार्थ, पारदर्शी और तीव्र कदम उठाए जाएँ।
समाजसेवी की यह आवाज़ केवल व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे जनमानस की वेदना का प्रतीक है — जो न्याय, पारदर्शिता और सुशासन की माँग कर रही है। बंद करो झूठे मुकदमे, बंद बंद करो झूठे प्रचार देश की आम जनमानस को चाहिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य ….
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राम_राज्य 🪔 #आपकानरे
भ्रष्टाचार चरम पर होने के नाते गौतम बुद्ध नगर में शासन-प्रशासन पूर्णतः विफल हो चुका है।
माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi व मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी से निवेदन है कि यहां तत्काल आर्मी की तैनाती कराई जाए।
अतिक्रमण व भ्रष्टाचार करने वालों को मृत्युदंड तक की सख्त सजा मिले।
पुलिस व्यवस्था समाप्त कर डीएम महोदया को सीधे आपात पावर दी जाए — तभी सिस्टम सुधरेगा।



