प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, डीएम और पुलिस कमिश्नर के आदेश भी ठंडे बस्ते में
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के हजारों पीड़ित घर खरीदारों की ओर से,
पूर्व सांसद प्रत्याशी और सनातन न्यास संस्था के ट्रस्टी नरेश नौटियाल ने कहा
कि जिले में शासन-प्रशासन की हालत इतनी खराब है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सीईओ, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और ह्यूमन राइट्स कमीशन — सभी के आदेश फाइलों में धूल खा रहे हैं।
नौटियाल ने बताया कि 1 जनवरी 2024 को उन्होंने प्रधानमंत्री पोर्टल (IGRS संदर्भ संख्या 60000230253204) पर एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश रेरा और संबंधित अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, भूमाफियाओं से मिलीभगत और अवैध निर्माण को संरक्षण देने के ठोस सबूत दिए गए थे। उन्होंने मांग की थी कि दोषियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाए और उनकी संपत्तियां जब्त की जाएं।
प्रधानमंत्री ने यह शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी, और मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को। लेकिन जिलाधिकारी ने बिना जांच किए, इसे उन्हीं अधिकारियों को सौंप दिया जिन पर सीधे आरोप थे। यह न्याय और पारदर्शिता दोनों का मज़ाक है।
इसके बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 15 मई 2025 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई। इसमें प्राधिकरण, एसडीएम, पुलिस अधिकारी और अन्य विभाग मौजूद थे। 95 बिल्डरों को बुलाया गया था, लेकिन केवल 5 ही आए। घर खरीदारों की कोई संस्था बैठक में शामिल नहीं थी।
बैठक में नौटियाल ने हिमालय प्राइड D टावर की रजिस्ट्री न होने, देविका गोल्ड होम्ज़ और ट्राइडेंट इंफ्राहोम्ज़ प्रा. लि. द्वारा एक ही प्रोजेक्ट को धोखे से दो अलग-अलग GH सोसाइटी घोषित करने, और फर्जी फायर सर्टिफिकेट जैसी गंभीर गड़बड़ियों के सबूत पेश किए। उन्होंने ट्राइडेंट इंफ्राहोम्ज़ के 5 टावर गिराने की मांग भी की। इस पर कोई अधिकारी या बिल्डर जवाब नहीं दे पाया। ADM अतुल जी ने भी माना कि प्राधिकरण जवाब देने से बच रहा है। डीएम मनीष जी ने FIR दर्ज करने और ऑफिस सील करने के आदेश दिए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला आज भी प्राधिकरण, डीएम, पुलिस कमिश्नर और ह्यूमन राइट्स कमीशन के दफ्तरों के बीच “फुटबॉल” बना हुआ है।
10 जुलाई 2025 को लोअर कोर्ट में प्राधिकरण ने खुद माना कि —
ट्राइडेंट की सब-लीज़ डीड नहीं हुई
कब्जा पत्र नहीं मिला
रजिस्ट्री नहीं हुई
और जिस जमीन पर निर्माण हुआ, वह स्वीकृत ही नहीं थी
यानि निर्माण पूरी तरह अवैध था। फिर भी कार्रवाई करने के बजाय, खरीदारों को उसी अवैध इमारत में पजेशन दे दिया गया। अब सिर्फ मीडिया में दिखावे के लिए 39 बिल्डरों पर ED और CBI छापों की सुर्खियां चलाई जा रही हैं।
नौटियाल ने कहा — जब प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, डीएम, सीईओ, ह्यूमन राइट्स कमीशन, पुलिस कमिश्नर और एसडीएम — सभी मिलकर भी एक साधारण FIR दर्ज न करवा पाएं, तो यह किस तरह का सिस्टम है?
उन्होंने आगे कहा —गौतमबुद्ध नगर में सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है। खरीदारों को अपने हक के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। डबल और ट्रिपल इंजन की सरकार मज़बूत कही जाती है, लेकिन अब लगता है इंजन गायब हैं और सिर्फ डिब्बे बचे हैं।
अंत में नौटियाल ने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस पूरे मामले की जांच CBI या ED जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए और दोषियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई हो, ताकि सुशासन और जनता का भरोसा बहाल हो सके।